परिचय

मै ज़ाकिर अली (जन्म 1/7/1968) मेरे वालिदे मोहतर्म का नाम मो0 अय्यूब खाँन उर्फ बब्बन दिवाना था मुजमें फ़ने मौसिक़ी कि चाहत बचपन से थी इसलिए मेरे वालिदे मोहतरम मो0 अय्यूब खाँन उर्फ बब्बन दिवाना ने मौसिक़ी कि तरफ मेरी चाहत देखकर मुझे शास्त्रीय संगीत सिखाना शुरू किया और मैं आठ साल कि उम्र से उनके साथ उनके प्रोग्रामों में जाता रहा क्योंकि मेरे वालिदे मोहतरम कोठीवान घराने के नामचीन गायक थे  और मोहाज़ खां व मदार खां कोठीवान घराने से ताअल्लुक़ रखते थे I मैंने अपने वालिद से शास्त्रीय संगीत, कव्वाली व गज़ल गाने का अंदाज सीखा और उन्हीं के साथ साथ प्रोग्रामों में जाता रहा इसके अलावा अलग से भी अपने प्रोग्राम करता रहा I सन 1999 में मेरे वालिदे मोहतर्म उस्ताद मो0 अय्यूब खाँन उर्फ बब्बन दिवाना का इन्तेकाल हो गया I

मैंने अपने कव्वाली म्यूजिक ग्रुप का प्रोग्राम व परफॉर्मेंस इंडिया और कई देशो में भी  दिया है और इंशा अल्लाह आगे भी देता रहुगा I विदेशो में जाने का मौका मुझे शाई बिन तुज़ुर से मिला है I शाई इज़राईल के रहने वाले और एक बहुत अच्छे म्यूजिक डायरेक्टर व कम्पोज़र है , और हीब्रू ज़बान के बहुत अच्छे शायर भी हैI

एक बार मैं हज़रत ख्वाजह मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में हाज़री दे रहा था तभी मेरी मुलाकात शाई बिन तुज़ुर  से हुई वो मेरी गायकी से मुतास्सिर हुए और मेरे घर आकर मुझे हीब्रू (इज़राईली भाषा) ज़बान में अपना एक कलाम गाने की इल्तेजा की। मैंने उस कलाम को बख़ूबी गा कर उन्हें सुनाया। फिर हमारा और शाई का संगीत का सिलसिला बनता चला और हम देानो ने मिलकर हीब्रू ज़बान में कई गाने गाये I हमारे हीब्रू ज़बान में कई एल्बम रिलीज़ हुए जिनमें शोशान, हैयाम थे। हीब्रू ज़बान में गाये गए हमारे एल्बम इज़राईल में बहुत मशहूर हुए और हमें  लाइव प्रोग्राम वह परफॉर्मेंस के लिए बुलाया जाने लगा और हमारी परफॉरमेंस को इज़राईल के लोगों ने बहुत पसंद किया I उसके बाद हमें विदेशों में परफॉर्म करने का मौका मिलने लगा और अलग-अलग म्यूजिक ग्रुप व म्यूजिक फेस्टिवल से जुड़ने का भी मौका मिला I

इसी दौरान मेरी मुलाकात शाई के जरिए जॉनी ग्रीनवुड से हुई जोकि रेडियो हेड म्यूजिक ग्रुप से ताअल्लुक़ रखते हैंI जॉनी ग्रीनवुड कुछ अरसे बाद इंडिया शाई बिन तुज़ुर के साथ आए और उन्होंने पॉल थॉमस एडरसन के साथ मिलकर एक एल्बम और डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाने का प्लान बताया I जो कि 8 अक्टूबर 2015 को जुनून एल्बम के नाम से रिलीज हुआ। इस एल्बम के डाइरेक्टर जनाब पाल थामस एडरसन, म्यूजिक डाइरेक्टर – शाई बिन तुज़ुर, जानी ग्रीनवुड और अन्य आर्टिस्ट को लेकर (जिसको राजस्थान एक्सप्रेस के नाम से बनाया गया।) इस ग्रुप में वोकल आर्टिस्ट के तौर पर मैं (ज़ाकिर अली) और ज़की अली (मेरे बड़े भाई) थे I

इस एल्बम ने दुनिया में बड़ी कामयाबी हासिल की और ये म्यूजिक ग्रुप जुनून राजिस्थान एक्सप्रेस के नाम से मशहूर हुआ और दुनिया के कई देशों में इसके लाइव प्रोग्राम व परफॉर्मेंस रेडियो हेड म्यूजिक ग्रुप के तहत या शाई बिन तजुर के तहत होने लगे  जिसकी डिटेल मैंने टूर के कॉलम में दी है I गायक के तौर पर रेडियो हेड व शाई बिन तुज़ुर  के जरिए हमें अलग-अलग देशों में पहचान मिली इसके लिए मैं (ज़ाकिर अली) जांनी ग्रीनवुड और शाई बिन तुज़ुर का शुक्रिया अदा करता हूं I

संगीत के इस न खत्म होने वाले सफर में एक दिन मुझे यह ख्याल आया कि क्यों ना मैं एक ऐसा ज़रियाए माश बनाऊ जिसके ज़रिये इस सफर में मिलने वाले लोग मुझसे हमेशा जुड़े रहें इसलिए मैंने गुलशने चिश्तिया सूफी म्यूजिक ग्रुप (इस्टैब्लिशमेंट डेट 8 दिसंबर 2017 व रजिस्ट्रेशन नंबर SCA/2017/1/135314) बनाया ताकि मैं हमेशा  संगीत की दुनिया से जुड़ा रहू और संगीत से जुड़े लोगों की ख़िदमत में हाज़िर रहू I

शुक्रिया

दुआ में याद रखिये

और

खिदमत का मौका दीजिये

अल्लाह हाफिज

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